*ललित गर्ग*
अमेरिका के टेक्सास राज्य के शहर 'ह्यूस्टन' में प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नए भारत की ताकत एवं भारत के विश्वगुरु होने की सामथ्र्य का शानदार प्रदर्शन करके एक ऐसी रोशनी को अवतरित किया, जिससे अमेरिका में बसे भारतीयों का ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतवासियों का सीना गर्व से गौरवान्वित हो गया। पाकिस्तान के दुष्प्रचार की धुंध को चीरकर, दुनिया के ग्लोबल पैमाने पर भारत की बढ़ती हैसियत का अहसास कराकर एवं भारत-अमेरिका संबंधों को नई मजबूती की इबारत लिखकर सच का ऐसा उजाला उकेरा गया कि देशवासियों को प्रसन्नता का प्रकाश दे गया। एक नया एवं अभिनव इतिहास को आकार लेते हुए समूची दुनिया ने देखा कि किस तरह पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी धरती पर किसी अन्य देश के शासनाध्यक्ष के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लेने की जरूरत महसूस की। यह मोदी का जादू ही कहा जायेगा जो समूची दुनिया के सिर चढ़कर बोल रहा है। यह कार्यक्रम एक संदेश दे गया कि देश का एक व्यक्ति अपने दृढ़ इरादों एवं संकल्प से भारत का मस्तक ऊंचा करने की ठान चुका है और ऊंच शिखरों पर आरोहण करने के लिये प्रतिबद्ध है। संकल्प से सिद्धि तक की उनकी यात्रा विश्व को बौना बनाने एवं भारत की शक्ति को उजागर करने का महासंकल्प है, जिसकी बानगी विश्व के अखबारों में तरह-तरह से अभिव्यक्त हुई और सबको लगा कि शब्द अखबारों के मुखपृष्ठ की न केवल शोभा बने बल्कि उन पृष्ठों से बाहर निकलकर नाच रहे थे।
'हाउडी मोदी' रूपी इस मेगा इवेंट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पहली बार कोई सार्वजनिक मंच साझा करते हुए भारतीय मूल के 50 हजार से अधिक अमेरिकी नागरिकों को संबोधित किया। कहा जा रहा है कि हाउडी मोदी अमेरिका के इतिहास में पोप फ्रांसिस के बाद किसी विदेशी नेता का सबसे बड़ा कार्यक्रम था। यह इस बात का संकेत है कि अमेरिका आज की तारीख में भारत को कितनी अहमियत देता है। ट्रंप और मोदी की आपसी केमिस्ट्री से साफ दिख रहा था कि भारत और अमेरिका के रिश्ते अब बराबरी के स्तर पर हैं। ट्रंप ने कहा भी कि मैं अमेरिका के सबसे महान, सबसे समर्पित और सबसे वफादार दोस्तों में से एक भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने पर बहुत रोमांचित हूं। निश्चय ही भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है, जो और बातों के अलावा यह भी बताता है कि भारत के बाहर भारतवंशी एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहे हैं और उनका समर्थन-सहयोग दुनिया की ताकतवर सत्ताओं के लिए अहम होता जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाउडी मोदी कार्यक्रम में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाई। बड़े कदम एवं ऊंचे लक्ष्यों को प्रस्तुति देते हुए कहा गया कि 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को लेकर भारत ने कमर कसी है। 70 साल से जारी अनुच्छेद 370 को हटा देने के साहसिक कदम की बात करते हुए कहा गया कि असंभव को भारत ने संभव करके दिखाया है। एफडीआई के शर्तों को आसान बनाने की चर्चा करके उन्होंने विश्व की आर्थिक शक्तियों को भारत आने का न्यौता दिया। आज भारत पहले के मुकाबले और तेज गति से आगे बढ़ना चाहता है। भारत कुछ लोगों की सोच को चुनौती दे रहा है, जिनकी सोच है कि कुछ बदल ही नहीं सकता। बीते पांच सालों में 130 करोड़ भारतीयों ने हर क्षेत्र में ऐसे नतीजे हासिल किए हैं जिनकी पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। पाकिस्तान के द्वारा बार-बार आतंकवादी संकट खड़े करने एवं अन्य भीतरी संकटों के बीच इस महानायक ने एक कविता भी सुनाई कि वो जो मुश्किलों का अंबार है, वहीं तो मेरे हौसलों की मीनार है। अपना संबोधन खत्म करने के बाद मोदी मंच से नीचे आकर न केवल ट्रंप से हाथ मिलाया बल्कि दोनों नेता एक दूसरे का हाथ पकड़कर स्टेडियम का चक्कर लगाया।
यह आयोजन विश्वास एवं संभावनाओं की नयी सुबह का आगाज बना है। ऐसे वक्त जब भारत और अमेरिका के रिश्तों में खासकर आर्थिक मु्ददों को लेकर एक ठंडापन दिखने लगा था। क्योंकि भारत ने जून में 28 अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ दरें बढ़ाई थीं और इससे पहले अमेरिका ने भारत को दिए गए व्यापार संबंधी विशेषाधिकारों को वापस ले लिया था। उम्मीद की जा रही है कि अब ये मसले सुलझा लिए जाएंगे। अभी जब भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती दिखाई दे रही है, अमेरिका का सहयोग हमें काफी राहत दे सकता है। लेकिन इससे भी बड़ा मसला कूटनीतिक है जिसमें विश्व स्तर पर पाकिस्तान की हरकतों को बेनकाब करना मुख्य है। मोदी ने आतंकवाद को लेकर जो वक्तव्य दिए, उससे यह तो तय हो गया है कि कश्मीर मुद्दे पर भारत को अमेरिका का पूरा साथ मिलेगा और उसका यह रुख देखकर उसके कई मित्र देश भी अपना स्टैंड तय करेंगे। सचाई यह है कि आज अमेरिका को भी भारत की जरूरत है। भारतीय मूल के वोटर ट्रंप के लिए काफी महत्व रखते हैं, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं को काबू में रखने के लिए भी उन्हें भारत का सहयोग चाहिए। निश्चित ही दोनों देशों की यह दोस्ती न केवल भारत-अमेरिका बल्कि दुनिया की राजनीति की तस्वीर को बदलेगी।
अमेरिका की आर्थिक व राजनैतिक शक्ति और सामथ्र्य आज विश्व में सर्वोच्च स्थान रखती है। वह अपनी इस स्थिति को बनाये रखने के लिए दुनिया के सभी महाद्वीपों के प्रमुख देशों में प्रभावशाली भूमिका की तलाश में रहता है और उसी के अनुरूप अपनी रणनीति तैयार करता है जिसमें उसके आर्थिक हितों को वरीयता प्राप्त होती रहे। इस दृष्टि से भारत से उसकी दोस्ती उसके लिये दूरगामी एवं लाभकारी है। मोेदी ने बहुत सूझबूझ एवं विवेक से हाउडी मोदी कार्यक्रम की संयोजना की, क्योंकि ट्रम्प ह्यूस्टन की सभा का राजनैतिक लाभ भी लेना चाहते थे क्योंकि अगले वर्ष 2020 में वहां पुनः राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और श्री ट्रम्प पुनः उम्मीदवार होने के इच्छुक हैं। पाकिस्तान को मात देने की गरज से प्रधानमन्त्री मोदी ने ट्रम्प की प्रशंसा में बहुत जलवे बिखेरे।
मोदी ने जहां पारंपरिक लीक से हटकर भारतीय कूटनीति को पारिभाषित करके भारत के काश्मीर मुद्दे को दुनिया के सामने प्रस्तुति दी है, वहीं ट्रम्प का उग्र इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ आह्वान भी इसी मुद्दे पर पाकिस्तान की हैसियत को आतंकवादी पोषक राष्ट्र के समकक्ष लाकर खड़ा कर देने में सहायक हो सकेगा। निश्चित ही पाकिस्तान के रवैये पर अमेरिकी राष्ट्रपति के रुख में बदलाव आयेगा। बावजूद इन स्थितियों के अमेरिकी कूटनीति को हमें गहराई से समझना होगा, बहुत सावधानी के साथ बिना किसी भावुकता के इन स्थितियों की बारीकियों का विश्लेषण करना होगा।
इस भव्य एवं ऐतिहासिक कार्यक्रम का नाम 'हाउडी मोदी' क्यों रखा गया? क्योंकि अमेरिका के पश्चिमी राज्यों में हाउडी का काफी प्रचलन है। हाउडी का मतलब है- आप कैसे हैं। इस तरह से हाउडी मोदी का मतलब हुआ कि मोदीजी आप कैसे हैं? मोदी ने इसका जबाव 6 अलग-अलग भाषाओं में देकर समां बांधा। उन्होंने अर्थव्यवस्था सहित देश को मजबूत बनाने की दिशा में उठाये गए कदमों का जिक्र करते हुए पंजाबी, बंगाली, गुजराती सहित कई भाषाओं में कहा कि भारत में सब कुछ अच्छा है, सब चंगे सी, मजामा छे, एलम सौकियाम, सब खूब भालो, सबू भाल्लाछी।” सदियों से भारत सैकड़ों भाषाओं, सैकड़ों बोलियां, सहअस्तित्व की भावना के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत की अलग-अलग भाषाएं और उदार एवं लोकतांत्रिक समाज उसकी पहचान है। अलग-अलग भाषा, अलग-अलग पंथ, पूजा पद्धति, वेषभूषा, सैकड़ों तरह का अलग-अलग क्षेत्रीय खान-पान, अलग-अलग मौसम एवं ऋतु चक्र इस धरती को, भारत को अद्भुत बनाते हैं और इस कार्यक्रम ने भारत को ही नहीं, उनके राष्ट्रनायक को भी अद्भुत एवं विलक्षण बना दिया। जो भी कोई मूल्य स्थापित करता है, जो भी कोई पात्रता पैदा करता है, जो भी कोई सृजन करता है, जो देश का गौरव बढ़ाता है, तो वह गीतों में गाया जाता है, उसे सलाम। मोदी के जलवे को सलाम! मोदी के मनोबल को सलाम!!
*ललित गर्ग,ई-253, सरस्वती कुंज अपार्टमेंट,25 आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
मो. 9811051133
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें