प्रेमिकाएँ कभी नहीं
माँगती
सिंदूर, अग्नि के सात फेरे
न ही कोई अधिकार
वो तो बस जताती हैं
अपने प्रेमी से प्यार
वो तो बस करती हैं प्रतीक्षा
उम्मीद के अंतिम छोर तक
अपने प्रेमी के वापस लौटकर
आने का
और चाहती हैं सिर्फ
उसके अधरों का स्पर्श अपने माथे पर
और उसका प्रेम भरा आलिंगन।
*कल्पना 'खूबसूरत ख़याल'
पुरवा,उन्नाव (उत्तर प्रदेश)
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