हैं नमन तुम्हें भी ,अश्रु वन्दना से
आँखों के अश्रु बोले, साॅ॑सो की आहटें
फिर आज तुम्हें पढ़ लिया, अश्रु वन्दना से
तेरे जाने का डर, आहटें पहचान लिया
तेरे मौंन के दीपक में, दर्पण भी देख लिया
बिष का प्याला तेरी ,यादों में पी लिया
कर लिया फिर नमन , तुम्हें अश्रु वन्दना से ।
साॅ॑सो की झंकार छूटी, फूलों सी मुस्कान छूटी
स्वाति के बूॅ॑दों जैसें ,फिर तुम्हें पुकार लिया
स्वप्न कथा में पूरा, तेरे संग जी लिया
अमृत का प्याला मान, यादों को पी लिया
रोम-रोम अर्पण किया, तेरे हर कदमों पर
आँखें फिर बंद कर लिया, अश्रु वन्दना से।
हैं नमन तुम्हें भी , अश्रु वन्दना से।।"
*रेशमा त्रिपाठी,प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
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