*डॉ अरविन्द प्रेमचंद जैन*
विश्व में एक शब्द का विरोधी शब्द भी होता हैं जैसे सुख का विरोध दुःख ,अहिंसा का विरोधी हिंसा. ऐसा सुनने में आता हैं की जो अहिंसात्मक प्रवत्ति का व्यक्ति होता हैं उसके पास हिंसक और पालतू पशु एक साथ बैठते हैं और उनका आशीर्वाद भी लेते हैं .अहिंसा का इतना व्यापक प्रभाव पड़ता हैं की यदि पूर्व का इतिहास देखे तो अहिंसा का उद्घोष और उसे स्थापित करने का प्रयास सनातन से चला हैं .भगवान् ऋषभ देव जी ने मात्र श्रमण संस्कृति की स्थापना अहिंसा को स्थापित करने के लिए की और अहिंसा का स्वागत हर युग में ,अनेकों युगपुरुषों ने किया हैं ,उसकी सूची बहुत लम्बी हैं ,
भगवान् राम ,कृष्णा ,महावीर, बुद्ध से लेकर महात्मा गाँधी और उसके बाद पश्चिमी देशों ने भी अहिंसा को अपनाया जैसे मार्टिन लूथर किंग ,नेल्सन मंडेला आदि अदि कितने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावित हुए .और हिंसा का दौर बहुत दिनों तक नहीं रह सकता ,हिंसा से की हल नहीं निकलता ,युध्य का हल चर्चा और शांति से ही निकलता हैं .युध्य का मैदान हिंसा का बिगुल बजाता हैं .
अहिंसा की शुरुआत में सबसे पहले नैतिकता ,आहार का बहुत बड़ा योगदान होता हैं .हिंसक व्यक्ति की कोई भी कार्य कलाप अहिंसक नहीं हो सकती .अहिंसा का प्रभाव हमारे आहार से शुरू होता हैं .मांसाहार की शुरुआत हिंसा से होती हैं ,कारण मांस कभी भी हत्या के बिना प्राप्त नहीं होता हैं ,जब मांसाहर खाने वाला हिंसक सामग्री सेव्य करेगा तो अमूमन उसके मन में दया का भाव नहीं रहेगा ,और दया विहीन मानव दानव होता हैं या हो जाता हैं .कभी कभी देखने सुनने में आता हैं की जो घर में पशु का मांस खाने जीव हिंसा करते हैं ,उस हिंसा का प्रभाव बच्चों पर पड़ता हैं और कभी कभी बच्चे खेल खेल में उसी का नाटक करते हैं और अनहोनी घटना होती हैं .
आजकल मांस मदिरा मच्छली अंडा का व्यापार आर्थिक विकास के लिए प्रमुखता से स्थान दिया जाता हैं ,उसका कारण निरीह प्राणियों की निर्मम हत्या करना ,क्या यह परिपाटी अपने परिवार के सदस्य के साथ अपना सकते हैं ?यदि हां तो स्वागत करूँगा .
जो व्यक्ति मांसाहार का सेवन करता हैं वह ऐसे मामलों में उस व्यापार को बढ़ावा देते हैं .हमारे प्रदेश के मुखिया ने इस सम्बन्ध में बहुत ही अनुकरणीय कदम उठाया हैं उन्होंने ने एक स्थान पर ही दूध और चिकिन ,कड़कनाथ मुर्गों को बेचने का प्रशंसनीय कदम उठाया हैं ,जबकि पिछली सरकार ने कड़कनाथ मुर्गे को घरो घरो भेजने की सुविधा दी थी ..
यह कदम महावीर युग की याद दिलाता हैं ,महावीर के पास एक साथ गाय और शेर दर्शन करने आते थे ,उनके शासनकाल में माँसाहारी और शाकाहारी एक घाट में साथ में पानी पीते थे.उसी प्रकार मध्य प्रदेश सरकार जिसे मनपसंद सरकार कहना उचित हैं भी महावीर के हिंसा के सिद्धांतों का पालन कर रही हैं ,साधुवाद ,यदि उचित समझे तो शराब ,मांस अंडेके साथ शबाब भी प्रदाय करे .जिस प्रकार मिंटो हाल में शराब, कबाब और शबाब की सुविधा हैं उस प्रकार इसमें भी अमल किया जावे जिससे आर्थिक उन्नति हो सकेगी और एक स्थान पर सब सामान सुविधा से मिल सकेगा .
सरकार एक तरफ गौशाला और गौ संरक्षण की बात करती हैं यानि अहिंसा, दया की बात और दूसरी और मांस मुर्गा ख़िलाने की बात .वैज्ञानिक ,डॉक्टर और धार्मिक ग्रन्थ इनको अमान्य कर चुके हैं और उसके विपरीत बढ़ावा यह दोगली नीति हैं .इससे आबादी नियनत्रण में सरकार का योगदान होगा और देश के विकास में चिकित्सक और चिकित्सा व्यवसाय का जरूर विकास होगा .बेरोजगार की समस्या ख़तम होगी .प्रदेश और देश में बूढ़े नहीं रहेंगे ,कारण खाने वाले जवानी में ही ऊपर चले जायेंगे .एक तीर से कई निशाने हैं .
इसीलिए मांस मुर्गा खाओ हृदय रोग बुलाओ .
कोई नहीं हैं नुक्सान इससे
हमारे घर तक मिलेगा सुविधा से
फिर क्यों नहीं बढ़ेगा कैंसर ,किडनी
जैसे घातक रोग
उससे बेरोजगारी की समस्या दूर होगी
आबादी नियंत्रण होगी
बुढ़ापा नहीं आएगा
लगे रहो मुन्ना भाई
*डॉ अरविन्द प्रेमचंद जैन, संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल 09425006753*
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