उज्जैन के लेखकों की 132 पुस्तकें प्रदर्शित हुई
उज्जैन। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास नई दिल्ली द्वारा 31 अगस्त से 8 सितंबर 2019 तक उज्जैन में आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले में उज्जैन लेखक साहित्यकार प्रकाशक मंच के बैनर तले शब्द प्रवाह साहित्यिक सांस्कृतिक एवं सामाजिक मंच के सौजन्य से लगाए गए बुक स्टाल पर जिन कवि साहित्यकारों ने अपनी पुस्तकें प्रदर्शन एवं विक्रय हेतु उपलब्ध कराकर सहयोग प्रदान किया उन सभी कवि , साहित्यकार , लेखकों को राष्ट्रीय पुस्तक मेले के समापन अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक मेला मंच पर आमंत्रित कर सम्मानित किया गया | कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ संस्कृत विद डॉ. केदार नारायण जोशी, विक्रम विश्वविद्यालय कुलानुशासक डॉ. शैलेंद्रकुमार शर्मा , मध्य प्रदेश लेखक संघ उज्जैन इकाई के अध्यक्ष डॉ हरीश प्रधान, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के संपादक डाॅ ललित किशोर मंडोरा, वरिष्ठ बाल साहित्यकार एवं कवि श्री राजकुमार जैन राजन चित्तौड़गढ़, राजस्थान थे।
कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए डाॅ देवेन्द्र जोशी ने बताया कि उज्जैन लेखक साहित्यकार प्रकाशक मंच द्वारा लगाया गया बुक स्टाॅल मेला अवधि के दौरान नगर के प्रबुद्धजन की तफरी और आपसी मेलजोल का प्रमुख केन्द्र बना रहा। स्थानीय सृजनशील प्रबुध्द जन के ऐसे नियमित संवाद को तरस रहे शहर के प्रबुद्ध जन के लिए 9 दिन किसी ताजी हवा के झोंके से कम नहीं रहे। एक कोशिश के तहत मंच ने अपने ही नगर के लेखक साहित्यकारों से संक्षिप्त संवाद कर एक मेलजोल की संस्कृति विकसित करने की उत्साहभरी कोशिश की और उस संवाद की एक झलक यू ट्यूब पर पर जारी कर गागर में सागर की तरह इस संवाद को जन - जन तक पहुंचाने का प्रयास भी किया।
यह एक अच्छी बात है कि नगर के ज्यादातर वरिष्ठ साहित्यकारों ने अपने कनिष्ठों की इस पहल को हाथोंहाथ लिया । स्टाॅल पर प्रदर्शन के लिए विविध विधाओं की 132 से अधिक पुस्तकें प्राप्त हुई। इनमें दिवंगत स्वनामधन्य साहित्यकारों की पुस्तकें शामिल नहीं की गई। सभी पुस्तकें आधी कीमत पर उपलब्ध कराई गई। कुछ पुस्तकें और लेखक तो वाकई इतने महत्व पूर्ण हैं कि उनकी जानकार सामने आना ही नगर के लिए गर्व की बात है। बहुत से लेखक राष्ट्रीय स्तर पर तो बहुत जाने जाते हैं लेकिन स्थानीय लेखक उनसे परिचित नहीं हैं ।इस अपरिचय को परिचय में बदलने की कालिदास के नगरी के लेखकों की यह साझा स्वस्फूर्त पहल सराहनीय और अनुकरणीय ही कही जानी चाहिए। अतिथियों का स्वागत संदीप सृजन एवं डॉ राजेश रावल ने किया | कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ लेखिका कवियत्री श्रीमती सीमा जोशी ने अपनी सुमधुर सरस्वती वंदना से किया |कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार डॉ. देवेंद्र जोशी ने किया। इस अवसर पर उज्जैन के कई वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित रहे |
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