कहते है कि इंसान अगर कुछ अलग करने की ठान लें तो फिर पीछे मुडकर नहीं देखता है । वह फिर उसमें लगातार कुछ न कुछ नयापन लाने में ही लगा रहता है जोधपुर निवासी सुनील कुमार माथुर ने तरह-तरह के स्लोगन लिखे सिक्के और मेघदूत पोस्टकार्ड एकत्र कर इनका अनोखा संसार बनाया है । माथुर को इसके अलावा डाक टिकट व तरह-तरह की पत्र पत्रिकाएं एकत्र करने का भी शौक हैं ।
इसके अलावा माथुर को विभिन्न पत्र पत्रिकाओ में लेख लिखने व सम्पादक के नाम पत्र लिखने का भी बेहद शौक है । उनके लिखे लेख स्थानीय, राज्य व राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओ में प्रकाशित हुए है और आज भी प्रकाशित हो रहे है जो प्रमुखता के साथ प्रकाशित होते हैं । माथुर ने शायद ही कोई ऐसा विषय होगा जिस पर सम्पादक के नाम पत्र न लिखा हो । कई बार तो एक ही अंक में उनके ध्दारा लिखे गये 5_5 व 6 _ 6 पत्र एक साथ प्रकाशित हुए है ।
माथुर के ध्दारा संग्रह किये गये मेघदूत पोस्टकार्डो में लिखे स्लोगन इस प्रकार है:_ डाकिया आया मोबाइल लाया, आज की बचत कल की मुस्कान डाकघर अल्प बचत योजनाऐ, गर्भ अवस्था में शिशु का लिंग पता लगाना कानूनी जुर्म है , दो बूंद जिन्दगी की , सर्व शिक्षा अभियान सब पढे सब बढें, स्वस्थ परिवार स्वस्थ गांव , स्वस्थ देश, छः जानलेवा बीमारियों से बचाइये सही समय पर टीका लगवाइए , नेत्रदान महादान, स्वच्छता में ईश्वर का निवास है, हर ग्राहक का अधिकार है शोषण मुक्त बने बाजार , अक्षय ऊर्जा से देश विकास, गांव गांव बिजली, घर घर प्रकाश, दूर रहे एड्स से , न कि एड्स रोगी से , मोतियाबिंद साध्य है । आई ओ एल अपनाओ , नारी का मान बढाना है तो साक्षर हो दिखलाना है न कोई चीरा न कोई टिका न ही कोई दर्द नई तकनीक से पुरूष नसबन्दी ।
माथुर के संग्रह में इसी प्रकार स्लोगन लिखे मेघदूत पोस्टकार्ड में दूषित जल पीना रोगों को निमन्त्रण देना, प्राकृतिक आपदा सब मिलकर करे सामना , अक्षय ऊर्जा का उपयोग शुद्ध पर्यावरण में आपका सहयोग, जाॅघो के बल वजन उठाओ , कमर दर्द का कष्ट बचाओ , चढो ऊंचाई, रखो ध्यान सेफ्टी बेल्ट बचाये जान, बालश्रम गैर कानूनी है विकलांगो के मानवाधिकार की रक्षा करें, मलेरिया मुक्त हो हमारा वतन मिलकर करे सब ऐसे प्रयत्न, हम दो हमारे दो , सुरक्षित मातृत्व, निरोध का प्रयोग एड्स से बचाव , मुफ्त कानूनी सहायता, बेटी को पढाओ अट्टारह से पहले विवाह न कराओ, बेटा बेटी का बराबर अधिकार शिक्षा, सहत , पूरा प्यार , अक्षर से साक्षर हो जाओ । जीवन में नव ज्योति जगाओ ,कूडा करकट गंदा पानी । रोगों की करते अगवानी । माथुर के संग्रह में न जाने ऐसे कितने ही मेघदूत पोस्टकार्ड होंगे । अगर सभी का उल्लेख करे तो न जाने कितने पन्ने रंगने पडे ।
उनके ध्दारा जो सिक्के एकत्र किये गये है उनमें भारत छोड़ो आन्दोलन की स्वर्ण जयंती,राष्ट्रीय एकता, डा भीमराव अम्बेडकर जयंती जन्मशती, अन्तर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष, छोटे किसान , 8 वां विश्व तमिल सम्मेलन, जैविक विविधता विश्व खाघ दिवस, अन्तर्राष्ट्रीय युवा वर्ष, सरदार वल्लभ भाई पटेल , महात्मा गांधी, खाघ एवं पोषकता विश्व खाघ दिवस, संयुक्तराष्ट्र संघ की 50 वी जयंती, जवाहरलाल नेहरू जन्मशती, नवम् एशियाई खेल, राजीव गांधी, 89 वां अन्तर संसदीय संघ सम्मेलन, छत्रपति शिवाजी, श्रम जगत, समेकित बाल विकास सेवा योजना, खुशहाल बालिका भविष्य देश का , स्वस्थ मां स्वस्थ शिशु , पर्यटन वर्ष, राष्ट्र मंडल संसदीय सम्मेलन, भारत का उच्चतम न्यायालय, मत्स्य उधोग, एग्री एक्सपो 95 , ग्रामीण महिलाओं की प्रगति, डा श्यामाप्रसाद मुखर्जी जन्मशती, श्री अरविंद, देशबंधु चितरंजनदास , छोटा परिवार खुशियाँ अपार, संत ज्ञानेश्वर, जल जीवन का आधार, भगवान महावीर का 2500 वां जन्म कल्याणक , रेल्वे के 150 वर्ष गौरवशाली, सेल्येलर रेल , खाघ एवं कृर्षि संगठन, डाॅ कामराज, सुभाष चन्द बोस जैसे न जाने कितने स्लोगन लिखे व नेताओं और स्थानों के सिक्के है जो माथुर ने खेल खेल में ही एकत्र किये हैं ।
उनका ऐसा संग्रह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है । समाज में नई चेतना, जागृति लाने का एक रचनात्मक प्रयास है । राष्ट्र के विकास, उत्थान, सरकारी नीतियों को जन जन तक पहुंचाने का अनूठा प्रयास है । उनका कहना है कि मात्र नारों से काम नहीं चलता बल्कि इन्हें जीवन में आत्मसात् करों व इसमें सभी का संयुक्त प्रयास हो ।
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