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जुबान के जल्लाद


*नवेन्दु उन्मेष*
देश में जल्लादों की कई वेराइटी हैं। एक वेराइटी वह है जो न्यायालय द्वारा सजा पाये अपराधी को जेल की काल कोठरी में फांसी के तख्त पर चढ़ाता है। यहां तक कि वह फांसी पर चढ़ाये जाने वाले व्यक्ति की कान में कुछ कहता है। तो दूसरी ओर देश में जुबान के जल्लाद भी होते हैं। ऐसे लोग कुछ भी कह सकते हैं और कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे लोगों की संख्या चुनाव के वक्त में बढ़ जाती है। ऐसे लोग प्रत्येक जनसभा में अपने विरोधियों पर जमकर हमला बोलते हैं और उनकी बोलती बंद कर देने का प्रयास करते हैं। उन्हेें इस बात से कोई लेना-देना नहीं होता कि वे क्या बोल रहे हैं और इसका असर देश के जनमानस पर क्या पड़ रहा है। कभी-कभी देश में कोई गंभीर समस्या आ जाती है तो ऐन वक्त पर जुबान के जल्लाद ऐसी बातें बोलते हैं कि सुनने वाले का खून खौल उठता है। तब सुनने वाला कहता है कि अमुक आदमी मिल जाये तो मैे उसका खून पी जाउं।
जुबान के जल्लादों की वजह से परिवारिक रिश्ते भी खराब होते हैं। यहां तक कि परिवार भी टूट जाते हैं। परिवार में ऐसे लोग आपको मिलेंगे जो मुसीबत के वक्त में ऐसी बातें कहेंगे जिससे आपका दिल छलनी हो जायेगा और आप उनसे रिश्ता क्या रखना, उन्हें देखना भी पसंद नहीं करते हैं। ऐसे जुबानी जल्लादों को कोई फर्क नहीं पड़ता। वे सिर्फ अपने तर्क पर स्थिर खड़े रहते हैं। जुबानी जल्लादों का चेहरा उस वक्त उभर कर सामने आ जाता है जब आपके घर में कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो और आपको भी उम्मीद नहीं हो कि वह ज्यादा दिनों तक जिंदा बच पायेगा। तब जुबानी जल्लाद आपके घर पर सहानुभूति के लिए आयेंगे और आपको सीधे तौर पर कह देंगे कि ये दो-चार दिनों के मेहमान हैं। उस वक्त आपको लगता है कि इलाज में खर्च मेरा हो रहा है। मैं मरीज को बचाने की कोशिश कर रहा हॅूं और यह जुबानी जल्लाद उनकी मौत के बारे में भविष्यवाणियां कर रहा है। सरकारी दफ्तरों में तो फाइल के जल्लाद होते हैं। आपने किसी काम के जल्द निपटारे के लिए आवेदन दिया। लेकिन फाइल के जल्लाद उसे दबाकर ऐसे बैठ जाते हैं मानों वे फाइल के डेथ वारंट का इंतजार कर रहे हों। उन्हें जब अपने
आला अधिकारियों से फाइल का डेथ वारंट मिलता है तो वे उसे तत्काल निपटा देते हैं। कभी-कभी तो फाइल के जल्लाद पैसे मिलते ही न्याय करते हुए देर शाम दफ्तर का समय समाप्त होने के बाद भी उसे निपटाने में देर नहीं करते हैं। इसी तरह प्यार के भी जल्लाद होते हैं। ऐसे लोगों की समाज में कमी नहीं है जो बहू अपने घर लाते तो धूमधाम से हैं लेकिन दहेज सहित कई कारणों से बहू पर अत्याचार करने से गुरेज नहीं करते। कभी-कभी तो पति भी पत्नी का जल्लाद बन जाता है। जिसके साथ वह सात जन्मों तक रहने का वादा निभाता है। वह उसे प्रताड़ित करता है और प्यार की भी हत्या कर देता है। अखबार के दफ्तर में समाचार के जल्लाद होते हैं। ऐसे जल्लाद समाचारों का ऐसे कत्लेआम करते हैं कि संवाददाता के समाचार की हत्या तक हो जाती है। संवाददाता चाहता है कि उसके समाचार से यह वाक्य नहीं काटे जायें लेकिन समाचार के जल्लादों को भी मजबूरन उसे फांसी पर लटकाना पड़ता है। कई समाचार तो एक जिले से दूसरे जिले के संस्करणों में जाने से पूर्व ही काट दिये
जाते हैं। वह भी समाचार के जल्लादों के द्वारा। यहां तक कि नकली दवा बनाने वाले और जांच के नाम पर ठगने वाले लोग भी दूसरे प्रकार के जल्लाद होते हैं। ये लोग आपके स्वास्थ्य को धीरे-धीरे कमजोर करते हैं और एक दिन आपकों मौत के मुंह में धकेल कर खुद के जल्लाद होने का सबूत पेश करते हैं।

*नवेन्दु उन्मेष
रांची, झारखंड



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