Technology

3/Technology/post-list

राष्ट्रीय सम्पति, युवा नेता और आज की राजनीति


*नीरज मिश्रा 'शुक्ला'

राजनीति दो शब्दों  का एक समूह है। ‘राज मतलब शासन ‘नीति मतलब उचित तरीके से कार्य करने की कला। दूसरे शब्दों में कहें तो शासन में सरकारी पद प्राप्त करके उसका उपयोग करना ही राजनीति हैं राजनीति का इतिहास बहुत प्राचीन है। रामायण-महाभारत काल में गजब की राजनीति होती थी। महाभारत में भी कौरवों ने पांण्डवांे के विरुद्ध राजनीति खेली थी। जिसमें पांडवों का सब कुछ दाव पर लग गया था। रामायण में भी राजनीति हुयी केकैयरी ने अपने पुत्र भरत के लिए राजनीति की। कुछ भी हो इसका प्रयोग सदैव विषाक्त परिणाम लेकर आया है। अगर, राजनीति न होती तो आज आपको रामायण और महाभारत का ग्रंथ पढ़ने के लिये नहीं मिलते। राजनीति तो पहले भी होती थी जब भारतवर्ष सोने की चिड़िया थ पहले मुगलों ने फिर फिरंगियों (अंग्रेज़ांे) ने राजनीति के द्वारा ही हिन्दुस्तान को कहां से का लाकर खड़ा कर दिया। पर स्वराज्य प्राप्ति के लिए की गई स्वतन्त्रता संग्रामियों द्वारा की गयी राजनीति का परिणाम शुद्ध तो रहा पर बर्बादी का ज्वालामुखी बुरी तरह फूटा और देश का विभाजन लाबा के रुप में तितर-बितर हुआ। महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, विलका माँझी, सुचेता कृपलानी, बिसिम्लिला खां, तांत्या टोपे, लाला लाजपत राय, जवाहरलाल नेहरू, इन्दिरा गाँधी आदि अनगिनत कोहिनूर थे हमारे देश में और उनके दौर को स्वर्णिम दौर कहा जाता था। 

समाज आज राजनीति को अछूत की नज़र से देखता है। लोग अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। इंजीनियर, डाॅक्टर और प्रशासनिक अधिकारी बनाने की बात करते हैं। पर कोई यह नहीं कहता कि बेटा पढ़-लिख तुझे देश के लिये राजनीति करनी है। आज यह धारणा बदलनी होगी। भारत आज युवा शक्ति के मामले में सबसे ज्यादा समृद्धशाली है। यह स्थिति भारत को विकास के लिहाज से एक महत्त्वपूर्ण दिशा प्रदान कर सकती है। यह सपना तभी पूरा होगा जब देश के राजनैतिक दल युवाओं को प्राथमिकता देंगे।

युवा वर्ग किसी भी काल या देश का आईना होता है। आज युवा वर्ग ऊँचाईयों को छूना चाहता है। परन्तु यह भूलता जा रहा है कि वह इन ऊँंचाईयों को छूने के लिए अपनी ही जड़ें काटता जा रहा है। उन्हें पर्याप्त रोजगार मिल रहे हैं, परन्तु दुःख की बात ये है कि आज का युवा भले ही कितना पढ़-लिख ले वह अपने परिवार, देश, समाज और समुदाय के प्रति अपने कत्र्तव्यों से पथभ्रष्ट होता जा रहा है। राजनीति में देश-प्रेम की भावना की जगह परिवारवाद, जातिवाद और समुदाय ने ले ली है। आज दिन-प्रतिदिन नेताओं के भ्रष्टाचार के किस्से अख़बारों में पढ़ने को और  न्यूज़ चैनलों पर सुनने को मिल रहे हैं। उससे युवा वर्ग में राजनीति के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि आज का पढ़ा-लिख युवा वर्ग विदेशों की ओर काम करने के लिये पलायन कर रहा है। पढ़ा-लिखा यह वर्ग विदेशों में काम के अवसर तलाश रहे हैं। क्योंकि आरक्षण जैसा दीमक उन्हें खोखला कर रहा है। दुर्भाग्य से भारतीय राजनीति की यह कमी रही है कि यहाँ अंगूठा छाप आदमी सरपंच, पार्षद से लेकर मंत्री तक बन जाते हैं और पढ़े-लिखे युवा आरक्षण की चक्की में पिस जाता है। आज पद की लालसा में नेता देश का बंटाधार कर रहें। उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण और बेरोजगारी युवाओं को अपने पथ से भटका रही है। इसी कारण युवा सही गलत का निर्णय लिये बिना नेताओं के कहने पर दंगा भड़काकर आगजनी के माध्यम से राष्ट्रीय सम्पति को नुकसान पहुंचा रहे है। भारत में हर तरह की आजादी है, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है। विरोध का भी अधिकार है पर विरोध का तरीका नैतिक होना चाहिए न कि आज की तरह अराजकता फैलाकर। आज का युवा राजनीति में अपना सहयोग कम अराजकता ज्यादा फैला रहा है, जो राष्ट्रहित में उचित नहीं है। उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण अनपढ़ नेता पढ़े-लिखे युवाओं को अपने इशारों पर नचाते हैं। युवाओं को एक-दूसरे धर्मों के खिलाफ भड़काकर उनसे आगजनी, पथराव, दंगाबाजी कराकर फिर खुद के नेता चुनवाने का रास्ता साफ करते हैं। राजनीति के अक्षपटल पर अपनी राजनीति की रोटियाँ सेकते हैं, पर आज के युवाओं को इतनी समझ कहा कि वे अपना भला-बुरा देख सकें। नेता उनके आगे नोटों की हड्डी डालते हैं और अपने तरीके से अपना उल्लू सीधा करते हैं, मुस्लिम से मन्दिर, हिन्दू से मस्जिद तुड़वाकर साम्प्रदायिक दंगे कराना राजनेताओं की फितरत बनी हुई है। आचार्य चाणक्य ने कहा हैंः-

 

जब सभी शत्रु एक तरफ हो जाये तो समझ लेना चाहिए कि राजा एक कत्र्तव्य परायण राजा है।

हार में क्या जीत में किंचित नहीं भयभीत में, कर्तव्य पथ पर जो भी मिला यह भी सही वो भी सही

 

हमारा देश सनातन-धर्म का अनुसरण करने वाला है। विदेशों में भी विरोध प्रदर्शन होते हैं, पर उनकी मंशा अपनी राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहँुचने की नहीं होती बल्कि दलों को विपक्ष का विरोध करना होता है। एक तरफ उनका विरोध चलता रहता है तो दूसरी तरफ उनका राष्ट्रीय कत्र्तव्य का निर्वाहन भी होता है। हिन्दुस्तान एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है, जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है अनेकता में एकता भारतवर्ष की पहचान है। फिर राजनीति के विद्यमान अराजकतत्व अपने निजी स्वार्थ हेतु युवाओं को राजनीति के मोहपास में बांधकर उन्हें रोबेट बना रखा है। जिससे वे अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए प्रयोग करते हैं। अज्ञानतावश युवा उनके चक्रव्यूह में फंस कर अपने राष्ट्र की सम्पत्ति को क्षति पहुंचाते हैं अपने कत्र्तत्यों से विमुख होकर अराजकता का समर्थन करते हैं। देश सुरक्षा व उन्नति से कोई सरोकार नही है। राजनीति में ये मूर्ख लोग बुद्धिमान आदमी को हरा सकते हैं। राजनीति एक कीचड़ के समान जिसमें जो उतरेगा वो मैला होगा ही, लेकिन इसका एक पक्ष यह भी है जो मैेला होगा वही कीचड़ साफ कर पायेगा तभी स्वच्छ राजनीति हो पायेगी। देश उन्नति की ओर अग्रसर होगा अगर देश का भविष्य बनाना है तो तो संविधान में संशोधन कर एक अधिकार की स्थापना की जाए जिससे राजनैतिक दलों के चुनाव उनके संविधान के अनुसार सुनिश्चित किया जाए। राजनीति में जागरुक युवाओं को बढ़-चढ़कर भाग लेना होगा तभी देश व समाज का नवनिर्माण होगा। युवा ही परिवर्तन, निर्माण, रचना, संघर्ष तथा साधना का मार्ग प्रशस्त करता है। जब युा करवट लेता है तभी नए रास्ते खुलते हैं। युवाओं का भटकाव व उनके द्वारा हिंसा के मार्ग को अपनाना गम्भीरता का विषय है। भटके हुए युवकों को मुख्य धारा से जोड़ना है। युवा शक्ति को जाग्रत करने के लिए सरकार को भी जागृत होना पड़ेगा। आज जो देश की तस्वीर बनी हुई है वो बहुत ही चिंताजनक है, इसके कर्णधार ही विनाशक बन रहे हैं।

Share on Google Plus

About शाश्वत सृजन

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें