चेन्नई।अंतरराष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन व शोध केन्द्र की ओर से प्राकृत भाषा शिक्षण के लिए साप्ताहिक कक्षाएँ दो दशक से आयोजित हो रही हैं। इस वार्षिक पाठ्यक्रम में उŸार्ण विद्यार्थियों को राजस्थान विश्वविद्यालय से मान्य अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर से प्रमाणपत्र दिये जाते हैं। निदेशक डॉ. दिलीप धींग ने बताया कि यहाँ जैन व जैनेतर, हिन्दी व हिन्दीतर भाषियों के अलावा साधु-साध्वी भी प्राकृत सीख रहे हैं। महासचिव डॉ. कृष्णचंद चोरड़िया ने बताया कि वर्ष 2020 के लिए प्रवेश हेतु डॉ. प्रियदर्शना जैन (9840368851) से संपर्क किया जा सकता है।
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