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होली खेलें श्याम यमुना जी के तीर


*सुषमा दिक्षित शुक्ला


होली खेलें श्याम यमुना जी के तीर ।


सख़ी चल ना सही यमुना जी के तीर ।


राधा   रानी  सँग  रास  रचावें,


गोरे  बदन  में   रँग  लगावें,


सारी गोपियन के जियरा मे उठ गयी पीर ।


सखी चल ना सही  यमुना  जी  के तीर ।


होली   खेलें  श्याम  यमुना जी  के तीर ।


होली  के रँग  सारा  गोकुल  रँगा  है  ,


फूलन की  बगियन में यौवन  जगा है ,


सखी   तन मे उमंगे हैं मनवा  अधीर ।


सखी चल ना सही यमुना जी के तीर ।


प्रेम के  रँग सखि कभी  न उतरें ,


यमुना  जी  से भी  हैं ये  गहरे  ,


प्यारे  मोहन के  रँग  रँगी  मैं ,


होठों मे हँसी सखी नयनन मे नीर


सखी चल ना सही यमुना जी  के तीर 


होली  खेलें  श्याम यमुना जी के तीर ।


*सुषमा दिक्षित शुक्ला


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