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लड़ाई


*राजेश’ललित’

ये जो लड़ाई है

जरा लंबी चलेगी

संभल कर पग रखना

तलवार,कवच,तीर ,कमान

सब तान के रखना

ख़ुद भी बचना

परिवार को भी 

संभाल के रखना

 

रूठे हो तो रूठे रहना

कोई कहे झूठा

झूठे ही रहना

 चाहे हो जितना 

कोई हो अपना

दूर ही दूर से

नमस्कार करना

 

ज़िंदा ही रहना

बचेंगे तो फिर

कुछ कहना सुनना

गिले करना

शिकवे सुनना

 

आज अभी कुछ

कम खा लेना

जिनके पास नहीं

बचा है

अपने हिस्से का दे देना

फिर हो जायेगा

मिलना -मिलाना

मुश्किल दो दिन 

जैसे तैसे कट जायेंगे

 

गेंदा,गुलाब फिर महकेंगे 

पेड़ खड़ा है

तोते चिड़ियाँ फिर आयेंगे

डाल डाल पर फिर चहकेंगे

कलकल गूंज रही है नदियाँ 

जीवन जंगल में लौट आयेंगे

 

*राजेश’ललित’, दिल्ली

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About शाश्वत सृजन

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