डॉ .निरुपमा वर्मा
शिव और शक्ति आदि तत्व है। शिव प्रकाश स्वरूप है और विमर्श रूप अथवा स्फूर्तिरूप शक्ति में प्रविष्ट होते हैं, और फिर बिंदु का रूप धारण कर लेते हैं। इसी प्रकार से शक्ति शिव में अनुप्रविष्ट होती है । तदनन्तर बिंदु संवर्धित होता है। तब उससे नाद (स्त्री तत्व )निर्गत होता है । बिंदु और नाद मिलकर मिश्र बिंदु हो जाते हैं , जो स्त्री - पुरुष शक्तियों का योग है और काम कहलाता है। श्वेत बिंदु जो पुरुष तत्व है ,तथा रक्त (लाल कण,) स्त्री तत्वों के प्रतीक हैं। ये फिर एक संयुक्त बिंदु बन जाते हैं। श्वेत , रक्त और मिश्र बिंदु मिलकर एक हो जाते हैं और काम कला कहलाते हैं इस प्रकार यहां चार शक्तियों का सामरस्य है :- 1) मूल बिंदु-----जो विश्व का उपादान है । 2)- नाद---जिसके आधार पर बिंदु संवर्धन से जन्म लेने वाले तत्वों का नामकरण होता है । बिंदु और नाद दोनों में उत्कट प्रेम रहता है , किन्तु इतने मात्र से सृष्टि का आरंभ नहीं होता । वे केवल अर्थ और वाक् के उपादान हैं । इसलिए इनके साथ (3)श्वेतपुरुष बिंदु और (4) रक्त स्त्रीबिंदु रूप में दो उत्पादक शक्तियों का योग होता है । जब ये चारों तत्व मिल कर कामकला कारूप धारण कर लेते हैं तब वागर्थमय सृष्टि आरम्भ होती है ।एक बात और है जब स्त्रीतत्व प्रथम बार बिंदु में प्रविष्ट होता है तब नाद के हार्धकला नामक एक अन्य तत्व भी विकसित होता है ।
शिव - ‘अ ‘ अक्षर है और शक्ति - ‘ह ‘ अक्षर —जो संस्कृत वर्णमाला का अंतिम शब्द है ।यह ‘ ह ‘ -अर्धकला कहलाता है। यह अर्धकला अथवा ‘ ह’शिव के प्रतीक ‘अ ‘ अक्षर से मिलकर कामकला या त्रिपुरासुंदरी का प्रतीकात्मक रूप है , जो शिव और शक्ति के संयोग का फल है । ‘ अ’ और ‘ह’ वर्णमाला के प्रथम और अंतिम अक्षर हैं और सभी अक्षर इनके बीच में हैं । तथा इनके माध्यम से सभी शब्द (सम्पूर्ण वाक् ) उनके अन्तर्गत हैं ।
शिव “आनन्द भैरव हैं , जो नौ व्यूह की आत्मा से निर्मित है —ये नौ व्यूह हैं—- १) कालव्यूह २) कुलव्यूह ३) नाम व्यूह ४) ज्ञान व्यूह ५ )चित्त व्यूह ६) बुद्धि व्यूह ७) मन व्यूह ८) अहंकार व्यूह ९) महत् व्यूह । आनन्द भैरव की आत्मा में यही नौ देवी हैं या कह लें कि यही नौ व्यूहों की आत्मा है । इस प्रकार स्त्री और पुरुष के इस आनन्द और -व्यूह में जब सामरस्य होता है तब यह सृष्टि आरम्भ होती है ।
शिव के साथ नौ देवी या नौ शक्ति की अवधारणा में सृष्टि का (जीव) उत्पत्ति का यही रहस्य समाहित है ।
डॉ .निरुपमा वर्मा ,एटा -उत्तर प्रदेश
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