*डॉ. अनिता जैन 'विपुला'
राम तुम्हें लेना होगा
फिर अवतार
पीड़ा से सन्तप्त
भारत भूमि
कर रही पुकार !
स्वार्थ मोह लोभ के
अंध कूप में डूबकर
कर रहा मानवता पर प्रहार!
दुर्मति भोगी हुआ लम्पट
अस्मिताओं को नोच नोच
कर रहा स्त्रियों पर अत्याचार!
सेवा भाव परोपकार से विरक्त
राज की लपलपाती लालसा में
कर रहा सारे भ्रष्टाचार !
त्याग तपस्या संयम छोड़
स्वार्थ में होकर मदांध
कर रहा अनाचार !
मानव धर्म के हन्ता
इन अदृश्य राक्षसों का
वक्त रहते करना होगा संहार!
*डॉ. अनिता जैन 'विपुला'
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